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एप्पल को देना पड़ सकता है 86.24 करोड़ डॉलर हर्जाना

वाशिंगटन: प्रौद्योगिकी कंपनी एप्पल को विस्कांसिन विश्वविद्यालय की एक टीम द्वारा विकसित और पेटेंट की हुई प्रौद्योगिकी का बिना अनुमति उपयोग करने पर 86.24 करोड़ रुपये हर्जाना देना पड़ सकता है। प्रौद्योगिकी का विकास करने वाली टीम में दो भारतीय मूल के अमेरिकी भी हैं।

गुरिंदर सोही और तेरानी विजयकुमार दोनों बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्न ोलॉजी एंड साइंस (बिट्स)-पिलानी के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग स्नातक हैं। दोनों प्रौद्योगिकी का विकास करने वाले चार सदस्यीय दल का हिस्सा थे।

विस्कांसिन की अदालत ने मंगलवार को पाया कि आईफोन और आईपैड जैसे कई लोकप्रिय उपकरणों का प्रोसेसर बनाने में एप्पल ने यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कांसिन एलुमनी रिसर्च फाउंडेशन (डब्ल्यूएआरएफ) की प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है।

कोर्ट न्यूज सर्विस के मुताबिक, अदालत को अब यह तय करना है कि एप्पल को फाउंडेशन को कितनी राशि का भुगतान करना है।

करीब डेढ़ साल पहले डब्ल्यूएआरएफ ने वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ विस्कांसिन की जिला अदालत में एप्पल के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया था। इसकी सुनवाई पांच अक्टूबर को शुरू हुई।

फाउंडेशन ने पिछले महीने भी एप्पल के खिलाफ शिकायत दाखिल की थी कि उसने आईफोन 6एस, आईफोन 6एस प्लस और आईपैड प्रो के नए ए9 और ए9एक्स प्रोसेसर में भी प्रौद्योगिकी की चोरी की है।

दोनों शिकायतों में कहा गया है कि ‘टेबल बेस्ड डाटा स्पेकुलेशन सर्किट फॉर पैरलल प्रोसेसिंग कंप्यूटर’ शीर्षक पेटेंट एंड्रियास मोशोवोस, स्कॉट ब्रीच, तेरानी विजयकुमार और गुरिंदर सोही को 1998 में उनकी मेहनत और प्रतिभा के लिए दिए गया है।

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