विश्व बैंक को वैश्विक गरीबी उन्मूलन का पूरा भरोसा
अक्रा: विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा है कि विश्व बैंक समूह को पूरा विश्वास है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी जड़ से खत्म होने की ओर अग्रसर है। उल्लेखनीय है कि 1990 में बेहद गरीबी में जीवनयापन करने वाली आबादी 36 फीसदी थी, जबकि अब यह घटकर मात्र 10 फीसदी रह गई है और इसी वजह से विश्व बैंक गरीबी उन्मूलन के प्रति सकारात्मक है।
घाना की राजधानी में ‘विकासशील अफ्रीका में गरीबी’ अभियान के उद्घाटन से ठीक पहले किम ने घाना के राष्ट्रपति जॉन द्रामनी माहमा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कही।
किम ने कहा, “यह प्रदर्शित करने के लिए घाना से अधिक उपयुक्त जगह नहीं हो सकती कि बीते दो दशकों में ही अति निर्धनता को खत्म करने की दिशा में काफी तरक्की कर ली गई है। क्योंकि विभिन्न सरकारों द्वारा घाना ने गरीबी को 50 फीसदी से अधिक कम करने में सफलता हासिल की है।”
घाना में 1991 में निर्धन आबादी का प्रतिशत 55 था, जो 2012 में घटकर 21 फीसदी रह गया।
किम ने कहा कि गरीबी उन्मूलन की दिशा में घाना की सफलता के पीछे तीन अहम कदम रहे। पहला कृषि अधारित स्वरोजगार को गैर कृषि आधारित स्वरोजगार में बदलना और थोड़ी संख्या में नौकरियां प्रदान करना है, दूसरा शिक्षा में निवेश बढ़ाना और तीसरा शहरीकरण में वृद्धि। इन सबसे रोजगार के अवसरों में इजाफा हुआ।
विश्व बैंक के दोहरे लक्ष्यों में 2030 तक वैश्विक स्तर पर गरीबी का पूर्ण उन्मूलन और विकासशी देशों में निचले दर्जे की 40 फीसदी आबादी को समृद्ध बनाना है।
किम ने कहा कि घाना इस दिशा में ज्वलंत उदाहरण बनकर उभरा है, क्योंकि घाना में मातृत्व मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और अवसंरचनात्मक रूपांतरण के अलावा अन्य क्षेत्रों में बेहद तेजी से सुधार हुआ है।
किम ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि पूरी दुनिया की निर्धन आबादी का 50 फीसदी हिस्सा, लगभग 70 करोड़ की आबादी, अफ्रीका के सहारा से सटे इलाकों में ही है।
किम ने हालांकि उम्मीद जताई है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आर्थिक क्षेत्रों में एक बार सही से निवेश आ जाने के बाद ये लक्ष्य हासिल कर लिए जाएंगे, क्योंकि बीते दो दशकों में आर्थिक विकास के कारण ही 70 फीसदी आबादी गरीबी से निजात पाने में सफल रही है।
राष्ट्रपति माहमा ने इबोला महामारी से निपटने के लिए पश्चिम अफ्रीकी देशों को दिए गए विश्व बैंक की मदद की सराहना की।
उन्होंने कहा, “उन्होंने (विश्व बैंक) साबित किया है कि वे सिर्फ अच्छे दिनों के मित्र नहीं हैं, बल्कि जरूरत में काम आने वाले साथी हैं। घाना में गरीबी अब अधिकांशत: ग्रामीण इलाकों की समस्या बनकर रह गई है। घाना की ग्रामीण आबादी का 15 फीसदी हिस्सा अभी भी अति निर्धन है, जबकि शहरी आबादी का दो फीसदी हिस्सा गरीबी से जूझ रहा है।
माहमा ने विश्व बैंक से कुछ बेहतरीन सुधारात्मक कार्यक्रम शुरू करने की अपील की, ताकि उप-सहारा अफ्रीका में गरीबी के स्तर में कमी लाई जा सके।
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