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व्यावसायिकता में नैतिकता व देशभक्ति के मिश्रण से तैयार होंगे जिम्मेदार नागरिक: इंद्रेश कुमार

भारत रत्न डा. अब्दुल कलाम के 84वें जन्मोत्सव पर बाल भवन इन्टरनेशनल स्कूल द्वारका में विश्व छात्र दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

पूर्व राष्ट्रपति स्व. डा. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेंगे, जिनका अनुसरण कर विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत कर अपने हस्ताक्षरों को आटोग्राफ में तब्दील करने का प्रयास करना चाहिए। युवा पीढ़ी की डा. कलाम को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी, क्योंकि मिसाइल मैन युवाओं को सदैव इस बात के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं। डा. कलाम के जीवन से इस प्रेरणा को सफलता के मूल मंत्र के रूप में प्रधानमंत्री कार्यालय से राज्य मन्त्री डा० जितेन्द्र सिंह ने प्रस्तुत किया।

केंद्रीय राज्य मंत्री बुघवार को राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच और बाल भवन इनटरनेशनल स्कूल द्वारका में भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के 84वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित युवा प्रेरणा दिवस में उपस्थित युवाओं को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने की। अपने संबोधन में ने डा. कलाम के संपूर्ण जीवन को प्रेरणासागर की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी डा. कलाम के जीवन के हर पल से कुछ न कुछ सीख सकती है। डा. कलाम का मूल मंत्र सादा जीवन उच्च विचार था, जिसे आत्मसात करने की जरूरत है। विराट व्यक्तित्व के धनी पूर्व राष्ट्रपति का पूरा जीवन चुनौतियों से भरा था, जिन्होंने आर्थिक विषमता को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। 

डा० सिहं ने कहा कि डा. कलाम ने शिक्षक के रूप में स्वयं को समर्पित रखा, जिनके जीवन का अंत भी विद्यार्थियों को व्याख्यान देते हुए हुआ। वे एक महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, शिक्षक, नेता और राष्ट्रपति थे, जिन्होंने कभी अपनी प्रतिभा का घमंड नहीं किया और संपूर्ण जीवन देश व समाज को समर्पित कर दिया। डा. कलाम का कहना था कि जब तक सुंदर सोच व सुंदर दिमाग वाले लोग नहीं होंगे तब तक दुनिया का सिरमौर नहीं बन सकते। बच्चों का ऐसा व्यक्तित्व माता, पिता व गुरु ही बना सकते हैं, जिनकी जिम्मेदारी भी बनती है। देश को परमाणु शक्ति बनाने में विशेष भूमिका निभाने वाले पूर्व राष्ट्रपति छोटी सोच को अपराध मानते थे, जिनका कहना था कि बड़ा सोचो-बड़ा करो। सपने सोई हुई आंखों से नहीं खुली आंखों से देखो और सपने वो होते हैं जो हमें सोने नहीं देते। 

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मन्त्री डा० जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आज समृद्धजन अपने बच्चों को शिक्षा के लिए विदेशों में भेजते हैं। किंतु भारत में रहकर ही सफलता के शिखर को छू सकते हैं, जिसका उदाहरण डा. कलाम हैं। अपने देश में ही शिक्षा ग्रहण करते हुए कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। जरूरत है लक्ष्य निर्धारित कर उस दिशा में कठोर परिश्रम करने की। डा. कलाम ने कभी भी निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आरएसएस के  राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार जी ने बड़े रोचक व अनूठे अंदाज में विद्यार्थियों को डा. कलाम का जीवनदर्शन करवाया। उनका कहना था कि युवाओं के प्रेरणास्त्रोत डा. कलाम का कहना था कि व्यावसायिकता में नैतिकता व देशभक्ति जोडऩे से जिम्मेदार व अच्छे नागरिक बनाये जा सकते हैं। डा. कलाम ने स्वयं इस आदर्श की अनुपालना की है, तभी वे आदर्श व्यक्तित्व बने हैं। उन्होंने चुटकीले अंदाज में विभिन्न सामाजिक समस्याओं पर कटाक्ष किये। उन्होंने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में कटु अनुभव व समस्याएं मिलती हैं, जिनका समाधान किसी किताब में नहीं मिलता। इसके लिए जीवन मूल्यों की आवश्यकता पड़ती है।उन्होंने कहा कि सभी महान पुरुषों ने नैतिक मूल्यों को बनाये रखा है। 

कार्यक्रम के अध्यक्ष इंद्रेश कुमार ने युवाओं को जीवन मूल्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि कलाम कहते थे माफी मांगने से माफी देने वाला ताकतवर होता है। स्वयं प्रसन्न रहो और दूसरों को प्रसन्नता दो। इससे जीवन सरल व सुखद बनता चला जाएगा। इस प्रकार जीवन का सफर तय करते हुए आगे बढ़ते चलो। उन्होंने विद्यार्थियों को अध्ययन विधि के भी तरीके सुझाये। उन्होंने कहा कि डा. कलाम को समझने के लिए व्यवसायवाद और नैतिकता को समझना होगा। कार्यक्रम के संयोजक नवीन कुमार अपने संबोधन में डा. कलाम को सलाम करते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक थे।

इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक नवीन कुमार ने इंद्रेश कुमार व मुख्य वक्ता को पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। इस दौरान मंच का संचालन रमणीक कौर ने किया। इस दौरान एयर मार्शल डा० आर ० सी० बाजपेयी, ले० जरनल आर० एन० सिंह, दीपेश गुप्ता , मीना गुप्ता , कुनाल गुप्ता , डा० अनिल अग्रवाल, कृष्ण सरन सिहं, राजेश लाम्बा, डी एस राठौर, सुचित्रा छिल्लर दीपा अंतिल, रेशमा सिहं आदि गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। कार्यक्रम का शुभारंभ स्कूली छात्राओं ने सरस्वती वंदना से किया। छात्राओं ने वंदे मातरम् गीत और ‘मै हूँ कलाम ‘की सुंदर नाटिका प्रस्तुति दी।

SaraJhan News Desk

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