सुशील मोदी ने निर्वाचन आयोग की नोटिस का जवाब दिया
पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने निर्वाचन आयोग के आचार संहिता उल्लंघन को लेकर नोटिस का जवाब देते हुए आज कहा कि उनके बयान से न तो आचार संहिता का उल्लंघन होता है और न ही भ्रष्ट आचरण के अन्तर्गत आता है।
सुशील ने आज यहां एक प्रेस विग्यप्ति जारी कर गत 28 सितंबर को कैमूर जिला मुख्यालय भभुआ के जगजीवन स्टेडियम में आयोजित एक सभा के दौरान प्रदेश की जनता के किए गए उक्त वादों पर निर्वाचन आयोग द्वारा गत एक अक्तूबर को जारी की गयी नोटिस का जवाब देते हुए आज कहा कि जनता से यह कहना कि चुनाव जीतने पर महादलित बस्ती में कलर टीवी लगाया जायेगा, मैट्रिक व इंटर के 50 हजार मेधावी छात्रों को लैपटाप व गरीबों को धोती-साडी देने से न तो आचार संहिता का उल्लंघन होता है और न ही भ्रष्ट आचरण के अन्तर्गत आता है।
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के अनेक फैसलों व राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुरुप उन्होंने जो घोषणाएं की वह आदर्श चुनाव आचार संहिता की किसी धारा का उल्लंघन नहीं है।
वकील सुबोध कुमार झा की ओर से दिए गए 18 पृष्ठों के जवाब में सुशील ने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि वह उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर उन्हें आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप से मुक्त करें।
सुशील ने कहा कि संविधान के प्रावधान के अन्तर्गत व राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत के तहत किसी भी राजनीतिक पार्टी और उसके नेता का यह दायित्व है कि वह अपने राज्य के लोगों के जीवन स्तर पोषण व स्वास्थ्य में सुधार का प्रयास करे। पार्टी के एक जिम्मेदार नेता होने के नाते उन्होंने जो घोषणाएं कि वे पार्टी की ओर से जारी दृष्टि पत्र में समाहित है। एक वरीय नेता होने के नाते दृष्टि पत्र के मुद्दों की जानकारी थी और जनता के बीच उसकी चर्चा की।
उन्होंने अपने जवाब में कहा है कि वहीं साढे सात वर्षों तक राज्य के वित मंत्री और देश भर के वित मंत्रियों के प्राधिकृत समिति के अध्यक्ष रहने के नाते वे अपनी घोषणाओं के बाबत राज्य के आंतरिक संसाधनों से भी अच्छी तरह से अवगत हैं।
निर्वाचन आयोग को दिए गए जवाब में सुशील ने आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा धरतीपकड बनाम राजीव गांधी मामले की चर्चा करते हुए कहा है कि इन मामलों में उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट फैसला दिया है कि चुनाव के समय इस तरह की घोषणाएं किसी भ्रष्ट आचरण के अन्तर्गत नहीं आती है।
सुशील ने कहा कि भभुआ में उन्होंने जो घोषणाएं की थी वह किसी एक क्षेत्र के लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण राज्य के लिए थी। ऐसे में किसी क्षेत्र विशेष के लोगों को प्रभावित करने का सवाल ही नहीं है।
उन्होंने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि वह उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने तथा आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप से मुक्त करने की कार्रवाई करने की कृपा करें।
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