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भारत ने नेपाल व्यापार नाका अवरूद्ध करने के आरोप किए खारिज

न्यू यॉर्क: भारत ने नेपाल के नए संविधान के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के बीच नेपाल की सीमा पर एक महत्वपूर्ण व्यापार नाके को बंद कर दिए जाने के आरोपों को पूरी तरह झूठा बताते हुए खारिज कर दिया है और इस बात पर जोर दिया है कि नेपाली जनता और दलों को आपस में स्वीकार्य हल निकालना है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से कल जब नेपाल के संविधान की रचना प्रक्रिया के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, हमारा रूख बिल्कुल स्पष्ट है। हम आदेशात्मक रूख नहीं अपनाना चाहते। नेपाल की जनता और राजनीतिक दलों को आपसी रूप से स्वीकार्य हल निकालना है, ताकि हर वर्ग इसपर अधिकार रख सके।

वह संयुक्तराष्ट्र महासभा सत्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बहुपक्षीय मुलाकातों से जुड़ी जानकारी संवाददाताओं को दे रहे थे।

स्वराज ने नेपाल के विदेश मंत्री महेंद्र पांडे के साथ द्विपक्षीय मुलाकात की, जहां उन्होंने कहा कि भारत द्वारा नाका बंद किए जाने की बात पूरी तरह से झूठी है।

स्वरूप ने कहा, हम सिर्फ सामान को सीमा तक ले जा सकते हैं और इसके बाद यह नेपाल पक्ष की जिम्मेदारी है कि वह उस ओर प्रवेश करने वाले ट्रकों के लिए पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करे।

उन्होंने कहा कि 4,310 ट्रक सीमा पर इंतजार कर रहे हैं लेकिन सुरक्षा की खराब स्थिति के कारण वे नेपाल में प्रवेश नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि भारतीय ट्रांसपोर्टरों ने मौजूदा तनाव के कारण नेपाल के भीतर आवागमन में पेश आने वाली परेशानी और सुरक्षा से जुड़े डर के बारे में शिकायतें की थीं। 

कल भारत से जरूरी वस्तुएं और पेट्रोलियम उत्पाद लेकर आने वाले ट्रकों ने नेपाल में प्रवेश शुरू किया। नेपाल को एक प्रमुख व्यापार नाका बंद किए जाने के कारण ईंधन से जुड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह नाका नेपाल के नए संविधान का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने बंद किया है।

लगभग 100 मालवाहक ट्रकों ने कल उत्तरप्रदेश की सनौली सीमा से नेपाल में प्रवेश किया। ये ट्रक नए संविधान का विरोध कर रहे मधेसी समूहों द्वारा लगाए गए बंद के कारण पांच से भी ज्यादा दिनों तक भारत की ओर फंसे रहे थे।

मधेसी भारतीय मूल के लोग हैं, जो भारत के सीमावर्ती क्षेत्र तराई में रहते हैं। ये लोग नए संविधान के अनुसार नेपाल को सात प्रांतों में बांटे जाने के खिलाफ हैं।

मधेसी और थारू समुदायों और सजातीय अल्पसंख्यकों के प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच एक माह से ज्यादा समय तक चली मुठभेड़ों में कम से कम 40 लोग मारे गए हैं। 

योशिता सिंह

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