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बीसीसीआई मामले पर सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्टीकरण से इनकार

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) खुद इस बात का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है कि पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन क्या अभी भी हितों के टकराव की स्थिति में हैं या नहीं और उन्हें बोर्ड की वर्किं ग कमेटी की बैठक में हिस्सा लेने दिया जाए या नहीं।

न्यायालय ने 22 जनवरी को दिए अपने फैसले के बाद बोर्ड में हुई गतिविधियों पर किसी तरह का स्पष्टीकरण जारी करने से भी इनकार कर दिया।

न्यायालय ने जनवरी में दिए अपने फैसले में श्रीनिवासन पर वर्किं ग कमिटी की बैठक में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि न्यायालय बोर्ड अध्यक्ष और आईपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक की दोहरी भूमिका के चलते श्रीनिवासन को हितों के टकराव की स्थिति में देख रही थी।

न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की पीठ ने कहा, “जिस दिन हमने अपना फैसला सुनाया, श्रीनिवासन हितों के टकराव की स्थिति में थे। बीसीसीआई को इस बात पर नजर रखनी होगी कि उसके बाद क्या हुआ।”

न्यायालय ने कहा, “बीसीसीआई इस नजरिए को मानने के लिए स्वतंत्र है। हम ऐसा नहीं कह रहे कि आप गलत हैं और हमने ऐसा भी नहीं कहा कि आप सही हैं।”

न्यायालय ने कहा कि बीसीसीआई द्वारा न्यायालय के सामने रखे गए अधिकांश बिंदु 22 जनवरी का फैसला आने के बाद के हैं।

न्यायालय ने कहा, “क्या आप अपने विचार की पूर्व स्वीकृति चाहते हैं (कि श्रीनिवासन अभी भी हितों के टकराव की स्थिति में हैं)। हमारा इससे कोई संबंध नहीं है।”

न्यायालय ने बीसीसीआई की याचिका पर किसी तरह का स्पष्टीकरण जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि यदि श्रीनिवासन बोर्ड के किसी विचार से असहमत होते हैं तो वह उचित न्यायालय में अपील कर सकते हैं।

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