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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में अल सल्वाडोर के प्रसिद्ध पेंटर रोडोल्फो ओवेदो वेगा की पेटिंग प्रदर्शनी

राजीव रंजन

भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव और भारत तथा अल सल्वाडोर के बीच राजनयिक सम्बंधों के 44 वर्ष पूरे होने के अवसर पर रोडोल्फो ओवेदो वेगा की पेटिंग प्रदर्शनी का उद्घाटन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) की कला दीर्घा में किया गया। पेटिंग प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति व विदेश राज्यमंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने किया। भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद् (आईसीसीआर), अल सल्वाडोर दूतावास और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी के उद्घाटन में भारत में अल सल्वाडोर के राजदूत माननीय गुलेर्मो रुबियो सोस्तुवो, आर्टिस्ट रोडोल्फो अवीदो वेगा, आईसीसीआर के महानिदेशक कुमार तुहिन और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानंद जोशी भी उपस्थित थे। दर्शक इस पेंटिंग प्रदर्शनी का अवलोकन 10 से 15 सितंबर के बीच सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक कर सकेंगे।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए बोलते हुए केंद्रीय संस्कृति एवं विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि लैटिन अमेरिका और विशेष रूप से अल सल्वाडोर के साथ भारत का एक विशेष सम्बंध है। उन्होंने आगे कहा कि जब हम एक-दूसरे की संस्कृति का सम्मान करते हैं, तो अपनेपन की भावना विकसित होती है। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता का सम्मान करना वास्तव में भारत को समझना है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के बारे में जानने के लिए एक जन्म पर्याप्त नहीं है और वह इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए भारत में ही पुनर्जन्म लेना चाहेंगी। उन्होंने पेंटर रोडोल्फो अवीदो वेगा यह को सलाह भी दी कि उन्हें भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश की यात्रा करनी चाहिए। इससे उन्हें अपनी पेंटिंग के लिए और अच्छे विषय मिल सकते हैं। उन्हें अयोध्या की यात्रा करनी चाहिए, ताकि वह रामायण से जुड़े स्थानों को देख सकें और उसके बारे में जान सकें। इससे उनके सामने भारतीय संस्कृति के मूल्यों के नए अध्याय खुलेंगे।

भारत में अल सल्वाडोर के राजदूत माननीय गुलेर्मो रुबियो सोस्तुवो

अल सल्वाडोर के राजदूत माननीय गुलेर्मो रुबियो सोस्तुवो ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करने पर सभी भारतीयों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश की कला कई विशिष्टताओं का प्रतिनिधित्व करती है। आईसीसीआर के महानिदेशक कुमार तुहिन ने बताया कि आर्टिस्ट रोडोल्फो अपने देश के सांस्कृतिक राजदूत हैं। फ्रांस में रहते हुए वह फ्रांस, लैटिन अमेरिका और अल सल्वाडोर के बीच सांस्कृतिक सम्बंधों को मजबूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि इस तरह के आयोजनों से भारत, लैटिन अमेरिका और अल सल्वाडोर के बीच सांस्कृतिक सम्बंध और मजबूत होंगे।

कार्यक्रम की शुरुआत में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अल सल्वाडोर के कलाकार रोडोल्फो ओवीदो वेगा ने 40 से अधिक देशों की यात्रा की है और उन्होंने विभिन्न देशों के आधुनिक दृष्टिकोणों को अपनी कला में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि वेगा वास्तव में एक लोकतांत्रिक कलाकार हैं। डॉ. जोशी ने उम्मीद जताई कि भारत की विविधता और सभ्यतागत मूल्य ओवीदो को प्रेरित करेंगे और भारत का यह प्रवास उनके अनुभव जगत को समृद्ध करेगा।

अतिथियों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी

रोडोल्फो अवीदो वेगा के बारे में
रोडाल्फो अवीदो वेगा चित्रकार, इंटीरियर वास्तुशास्त्री और सांस्कृतिक प्रशासक हैं, जिन्हें फ्रांस की सरकार ने उनके सांस्कृतिक कार्यों तथा फ्रांस और लैटिन अमेरिका के बीच सम्बंधों को मजबूत बनाने के लिये पुरस्कृत भी किया है। उनकी कलाकृतियां विभिन्न निजी और सार्वजनिक संकलनों का हिस्सा हैं तथा उन्हें विश्व के 20 से अधिक देशों में प्रदर्शित किया जा चुका है। इन चित्रों और संकलनों को मेत्ज़ में पॉमपिंदू म्यूजियम, तेहरान आर्टिस्टिक हाउस, स्पेन के रक्षा मंत्रालय, क्यूबा में हवाना स्थित गोमेज पैलेस में रखा गया है।

प्रसिद्ध चित्रकार, इंटीरियर वास्तुशास्त्री और सांस्कृतिक प्रशासक रोडाल्फो अवीदो वेगा

रोडाल्फो की कलाकृतियों के केंद्र में कोई न कोई विशेष कहानी होती है। वे तार, रेत और पत्तों जैसी सामग्रियों को सावधानी से चुनकर तथा उन्हें अपनी स्मृति में ढालने के बाद कलात्मक रूप प्रदान करते हैं। एक्रेलिक और नियोन रंगों के जरिये वे कैनवास पर ब्रह्माण्ड या धार्मिक पात्रों-प्रतीकों के चित्र उकेरते हैं। ये सभी चित्र लगभग अमूर्त होते हैं। ज्यामितीय रेखांकन, रंग और कलेवर मिलकर उनकी अपनी शैली को चित्रित करते हैं। इन्हें देखना एक शानदार अनुभव होता है। कलाकृतियों को ध्यान से देखने पर तरह-तरह का भान होता है, जैसे- वास्तुकला, मंदिर, किरण, सूर्य, चंद्रमा, आदि।

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