मथुरा के ‘वैशिष्टयम’ में विशिष्ट बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा
मथुरा: मथुरा वृंदावन के शारीरिक तथा मानसिक रूप से अक्षम बच्चों को लिए विशेष रूप से खोले गए ‘वैशिष्टयम’ विद्यालय में उनके निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है। इस समय वैशिष्टयम स्कूल में क्षेत्र 70 छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जा रही है तथा इनमें से अधिकतर गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों से संबंधित हैं।
विशिष्ट बच्चों के लिए साध्वी ऋतम्भरा द्वारा स्थापित ‘वैशिष्टयम’ विद्यालय द्वारा इन बच्चों को उनके घरों से लाने तथा वापस छोड़ने के लिए परिवहन सुविधा भी मुफ्त प्रदान की जा रही है।
वैशिष्टयम में मुख्यत: मानसिक विकार, वाकविकार, भाषा विकार, दृष्टि दोष, श्रवण दोष, डाउन सिंड्रोम तथा विभिन्न निर्बलताओं से जूझ रहे बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश बच्चों का व्यवहार अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है। इससे उनके शैक्षणिक विकास तथा घरेलू एवं सामाजिक वातावरण में भी विपरित प्रभाव पड़ता है।
विद्यालय द्वारा इन मानिसक तथा शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों की विशिष्ट आवश्यकताओं के मद्देनजर विशेष पाठ्यक्रम बनाया गया है तथा इन बच्चों को वर्दी, किताबें तथा सभी शैक्षणिक उपकरण मुफ्त में प्रदान किए जा रहे हैं। वैशिष्टयम ने ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों की शिक्षा के लिए नीवनतम तकनीकों पर केंद्रित एक परियोजना शुरू की है।
विद्यालय के अधिकांश बच्चे अपने स्तर पर चलने फिरने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन उनके चेहरे की आभा, उत्साह तथा हिम्मत से सभी परेशानियां दूर भागती नजर आती है। साध्वी ऋतम्भरा ने इन बच्चों को समाज तथा राष्ट्र की मुख्यधरा से जोड़ने के मिशन को शुरू करके एक नया उदाहरण पेश किया है। विद्यालय में प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार शिक्षा योजना तैयार की जाती है।
वैशिष्टयम की प्राचार्य मीनाक्षी अग्रवाल का कहना है कि वैशिष्टयम में पढ़ने वाले कुछ बच्चों की शारीरिक आयु 14 वर्ष हो सकती है लेकिन उनकी मानसिक आयु मात्र 2-3 वर्ष ही होती है तथा उन्हें शौचालय, हाथ साफ करने, कंघी करने जैसी मूलभूत आवश्कताओं के लिए सहायता प्रदान करनी पड़ती है।
विद्यालय ने विशिष्ट छात्रों को स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से व्यवसायिक पाठ्यक्रम भी शुरू किए हैं ताकि वह आर्थिक रूप से सक्षम होकर स्वतंत्र जीवन यापन शुरू कर सके तथा समाज की सहायता पर निर्भर न रहे। वैशिष्टयम द्वारा इन बच्चों की विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए देश के नामी प्रतिष्ठित अस्पतालों के विशेषज्ञों के आमन्त्रित करके इनका मुफ्त उपचार करवाया जाता है।
वैशिष्टयम द्वारा विद्यालय में केवल पढ़ने वाले बच्चे पर मासिक औसतन 10,000 रुपये तथा हॉस्टल में रहने वाले बच्चे पर मासिक औसतन 20,000 रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इन बच्चों के अभिभावकों पर किसी प्रकार का आर्थिक बोझ नहीं डाला जाता, बल्कि उन्हें अपनी आर्थिक हैसियत के हिसाब से स्वैच्छिक रूप से सहायता करने के लिए ही प्रेरित किया जाता है।
स्कूल की प्राचार्य मीनाक्षी अग्रवाल का कहना है, “हम पिछले एक वर्ष से अपंगता के दाग को हटाने के लिए कार्य कर रहे हैं, ताकि कोई भी अभिभावक अपने बच्चे की वजह से मानसिक तनाव में न रहे।”
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