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विकास, शांति, सुरक्षा परिषद में सुधार पर भारत का जोर

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 70वीं वर्षगांठ पर होने वाले शिखर सम्मेलन का जोर वैश्विक विकास, 2030 तक गरीबी उन्मूलन और जलवायु परिवर्तन से पैदा चुनौतियों से निपटने पर होगा।

प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों, शहंशाहों, शहजादों वाले इस शिखर सम्मेलन के शुक्रवार को होने वाले उद्घाटन सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित कर सकते हैं। शिखर सम्मेलन में नेता एजेंडा 2030 पर सहमति जताएंगे, जिसमें अगले 15 वर्षो में स्थाई विकास के 17 लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। 

मोदी सिलिकॉन वैली में डिजिटल अर्थव्यवस्था के दिग्गजों से मिलेंगे। फिर वह सैन जोस में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। इसके बाद न्यूयार्क लौटेंगे और राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा 28 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में शामिल होंगे। संयुक्त राष्ट्र में संक्षिप्त प्रवास के दौरान मोदी कई देशों के नेताओं से द्विपक्षीय मुद्दों पर बात करेंगे।

28 सितंबर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा का 70वां सत्र शुरू होगा। इसमें विकास के एजेंडे और सुरक्षा परिषद में सुधार पर चर्चा होगी। मोदी का इसी दिन भारत लौटने का कार्यक्रम है। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र सत्र को पहली अक्टूबर को संबोधित करेंगी। 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने गुरुवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत दुनिया की समस्याओं को सभी के सहयोग से समग्र रूप से हल करने के पक्ष में अपनी बात रखेगा। उन्होंने कहा कि हम विवादों का रास्ता नहीं पकड़ना चाहते।

एजेंडा 2030 के तहत निर्धारित लक्ष्यों के हवाले से उन्होंने कहा कि भारत का फलक इसके लिए सबसे बड़ा है। देश के आकार को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत का योगदान इस एजेंडे की सफलता पर असर डालेगा।

एजेंडा 2030 में तय 17 लक्ष्यों में भूख और गरीबी उन्मूलन, सभी को साफ पानी मुहैया कराना, सभी को स्वच्छ वातावरण देना, पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को बढ़ावा देना और लैंगिक समानता हासिल करने जैसी बातें शामिल हैं।

मुखर्जी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद विस्तार के वार्ता मसौदे को मंजूरी देने से भारत बहुत खुश है। महासभा नवंबर में इस पर विचार करेगी। इससे पहले भारत जी-4 की बैठक बुलाएगा। जी-4 में सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए प्रयासरत देश भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में भारत की भागीदारी सबसे ज्यादा है। शांति मिशन मामले में जोस रामोस-होर्ता समिति की रपट का भारत ने स्वागत किया है और कहा है कि इस पर रचनात्मक रूप से अमल कराने की कोशिश की जाएगी।

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