बनारसी युवाओं को रास नहीं आ रही स्किल डेवलपमेंट योजना!
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से तमाम जतन किए जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय युवाओं को केंद्र की योजनाएं रास ही नहीं आ रही हैं।
आलम यह है कि बनुकरों के लिए चलाई जा रही ई-बाजार योजना के बाद अब युवाओं को केंद्र में रखकर शुरू की गई ‘स्किल डेवलपमेंट योजना’ भी दम तोड़ती दिखाई दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दौरान डिग्रीधारकों के लिए चलाई जाने वाली स्किल डेवलपमेंट योजना का खूब बखान किया था। दावा यह था कि बनारस के बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगारपरक बनाया जाएगा।
दरअसल, युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए ही केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने बनारस में उप्र के पहले सैमसंग टेक्निकल इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी।
मंत्रालय के कार्यालय कैंपस में खुले इस संस्थान में रोजगार देने की गारंटी भी दी गई। पिछले साल नवंबर महीने में इस संस्थान को खोला गया था। शुरुआत में तो सब ठीक-ठाक चला, लेकिन दो बैच के बाद अब यहां की 80 सीटों में से 25 सीट भरना भी काफी मुश्किल हो गया है।
बनारस में बने सैमसंग टेक्निकल इंस्टीट्यूट के आंकड़ों पर नजर डालें तो पहले बैच में 80 सीटों में से केवल 46 लोगों ने ही पंजीकरण कराकर हुनरमंद बनने का प्रशिक्षण लिया। हालांकि पहले बैच के सभी युवाओं को प्रशिक्षण के बाद प्लेसमेंट की सुविधा भी प्रदान कराई गई।
दूसरे बैच में यह संख्या घटकर 42 पहुंच गई और इनमें से 33 लोग रोजगार पाने में सफल रहे। तीसरे में 28 लोगों ने प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण कराया और इसमें से 17 लोगों को रोजगार मिल पाया। चौथे बैच में महज 17 लोगों ने पंजीकरण कराया है और फिलहाल उनका प्रशिक्षण चल रहा है।
मंत्रालय के अधिकारियों की तरफ से हालांकि दलील यह दी जा रही है कि इस योजना से युवाओं के न जुड़ने की खास वजह निर्धारित शैक्षिक योग्यता भी रही है। आईटीआई, डिप्लोमा धारक, बीटेक और बीएससी करने वाले युवाओं को ही यहां प्रशिक्षण दिया जाता है। इस नियम में अब तक दो बार बदलाव किया जा चुका है और अब इंटरमीडिएट पास युवाओं को भी प्रशिक्षण दिए जाने की शुरुआत की गई है।
अधिकारियों को उम्मीद है कि इससे आने वाले दिनों में संस्थान में प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की संख्या में वृद्धि होगी।
बनारस में मंत्रालय के स्थानीय डिप्टी डायरेक्टर आई.बी. सिंह के मुताबिक, इस योजना के तहत वर्षभर के भीतर 320 युवाओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 133 नौजवान ही प्रशिक्षण के लिए पहुंचे हैं। यह स्थिति तब है जब शैक्षिक योग्यता में दो बार बदलाव किया गया है। उम्मीद है कि आने वाले समय में युवाओं की संख्या बढ़ेगी।
विद्या शंकर राय