कला/संस्कृति/साहित्य

वीके सिंह की टिप्पणी पर भड़के साहित्यकार

भोपाल: हिंदी जगत के साहित्यकारों ने विदेश राज्यमंत्री वी. के. सिंह की उस टिप्पणी पर बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने साहित्यकारों को साहित्य चर्चा और शराब तक सीमित रहने की बात कही थी। लेखकों और साहित्यकारों ने सिंह से सवाल किया है कि “जनरल साहब बताएं कि सैनिकों का आंकलन उनकी सेवा और बलिदान के आधार पर होता है या दारू पीने पर।”

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हो रहे विश्व हिंदी सम्मेलन को लेकर विदेश राज्यमंत्री सिंह यहां डेरा लाले हुए हैं। बुधवार को एक समाचार पत्र में प्रकाशित एक रपट में सिंह के हवाले से कहा गया है कि “यह सम्मेलन पिछले सम्मेलनों से अलग है। यह सम्मेलन सिर्फ साहित्य तक केंद्रित नहीं है। यह भाषा के विस्तार और प्रसार के लिए है।”

साहित्यकारों द्वारा सम्मेलन पर उठाए जा रहे सवालों पर उनका जवाब था कि “कुछ लोगों को लग रहा है कि वे आते थे, आलेख पढ़ते थे, दारू पीते थे और चले जाते थे। जो इस बार नहीं है।”

राज्यमंत्री सिंह के इस बयान पर जाने-माने कवि राजेश जोशी ने कहा है, “रियायती दर पर तो सेना के लोगों को ब्रांडेड दारू मिलती है, कवियों और लेखकों को तो सस्ती किस्म की दारू मिलती है। यह बात जनरल साहब खुद जानते हैं। अब वे ही बताएं कि सैनिकों का सम्मान उनकी सेवा और बलिदान के चलते होता है, अथवा दारू पीने के कारण।”

साहित्यकार राम प्रकाश त्रिपाठी ने कहा, “साहित्यकार का सम्मान उसके साहित्यिक योगदान के चलते होता है, मगर सम्मेलनों में साहित्यकारों की हिस्सेदारी को लेकर जो टिप्पणी की गई है वह राज्यमंत्री की गरिमा के अनुरूप नहीं है। वह सेना में रहे हैं और सैनिकों को ज्यादा शराब मिलती है।”

साहित्यकारों की प्रतिक्रिया सामने आने के बाद सिंह ने अपने बयान पर संवाददाताओं से सफाई दी है। उन्होंने कहा, “मैंने कहा था कि ऐसा मैंने सुना (आलेख पढ़ने और दारू पीने की बात) है। जिस मीडिया ने इसे प्रकाशित किया है, वह दोषी है। उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएंगी।”

सिंह ने कहा कि उन्होंने इस बारे में जो भी बात की थी, वह अनौपचारिक थी। 

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