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सामाजिक विकास के लिए सब पर एक फॉर्मूला लागू नहीं: भारत

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने इस बात को रेखांकित करते हुए कि सामाजिक विकास के लिए ऐसा कोई समाधान नहीं है जो सबके अनुकूल हो, कहा है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाया गया 2030 का महत्वाकांक्षी विकास एजेंडा ‘समान सिद्धांत’ को मानता है परंतु इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारियों में भेदभाव किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि भगवंत विश्नोई ने इस विश्व संगठन की सामान्य सभा की तीसरी समिति बैठक में कल कहा ‘‘राष्ट्र के स्तर पर सामाजिक विकास के लिए ऐसा कोई समाधान नहीं है जो सबके अनुकूल हो। 2030 का एजेंडा ‘समान सिद्धांत’ को मानता है लेकिन इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारियों में भेदभाव है।’’

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर संस्थाओं को मजबूती देकर ही सतत सामाजिक विकास के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों के बीच अंतर-संबंधों पर ध्यान दिया जा सकता है।

विश्नोई ने कहा कि विकासशील देशों में घरेलू वित्त पोषण की खाई को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता से ही पाटना संभव है। उन्होंने साथ ही कहा कि राजनीतिक संकल्प और नि:स्वार्थ हित के साथ वैश्विक समुदाय को खुद को लचीले और टिकाउ समाज में बदलना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित पहले के विकास के लक्ष्यों के संबंध में असमान प्रगति के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय सारा भार नहीं उठा सकता, लेकिन सतत विकास को प्राप्त करने के लिए गरीबी उन्मूलन और सामाजिक समावेश को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाना होगा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ‘जन धन योजना’ के तहत 17 करोड़ लोगों ने बैंक में खाता खुलवाकर अपने आर्थिक सशक्तीकरण और विकास की तरफ पहला कदम बढ़ाया है।

उन्होंने प्रधानमंत्री ‘सुरक्षा बीमा योजना’ और ‘स्वच्छ भारत’ अभियान, ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ का भी हवाला दिया।

योशिता सिंह

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