कला/संस्कृति/साहित्य

वाराणसी: काशीनाथ सिंह ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

बनारस: उत्तर प्रदेश में हुई दादरी कांड जैसी सांप्रदायिक घटनाओं और कई लेखकों की हत्या के खिलाफ साहित्यकारों का विरोध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक पहुंच गया है।

उपन्यास ‘काशी का अस्सी’ के मशहूर लेखक काशीनाथ सिंह ने भी शुक्रवार को साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर दिया। पुरस्कार लौटाने की घोषणा करते हुए काशीनाथ सिंह ने कहा कि वह मशहूर कन्नड़ लेखक एमएम कुलबर्गी, डॉ. दाभोलकर और गोविंद पंसारे की हत्या, दादरी कांड और केंद्रीय मंत्रियों के बयानों से आहत होकर सम्मान लौटा रहे हैं। 

शहर के सुंदरपुर इलाके के बृज एन्क्लेव में मौजूद अपने घर पर मीडिया से मुखातिब काशीनाथ सिंह ने यह बात कही। 

ज्ञात हो कि उप्र के ही गौतमबुद्धनगर के दादरी में गोमांस खाने की अफवाह एक मंदिर से फैलाकर सांप्रदायिक भीड़ ने मोहम्मद अखलाक नामक एक शख्स की उसी की सिलाई मशीन से उसका सिर फोड़कर हत्या कर दी थी। मोदी राज में इस नृशंस हत्या की चर्चा देश ही नहीं, अब विदेश में भी हो रही है। इस कांड पर प्रधानमंत्री तो मौन रहे, लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में बढ़ती असहिष्णुता पर चिंता प्रकट की और आपसी सद्भाव की राह पर चलने की नसीहत दी। अगले दिन इज्जत बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने सिर्फ इतना कहा, ‘दादा (प्रणब) जो कहें वही सही’। 

आहत लेखक काशीनाथ ने कहा, “मैं 23 अक्टूबर का इंतजार कर रहा हूं कि उस दिन साहित्य अकादमी की इमरजेंसी मीटिंग में क्या होता है। मुझे लगता है कि भाजपा साहित्य अकादमी की आजादी खत्म करना चाहती है और उसे अपने कब्जे में लेना चाहती है।”

गौरतलब है कि ‘काशी का अस्सी’ के अलावा काशीनाथ सिंह ‘अपना मोर्चा’, ‘सदी का सबसे बड़ा आदमी’, ‘घर का जोगी जोगड़ा’ और ‘रेहन पर रग्घू’ जैसे उपन्यास भी लिख चुके हैं।

काशीनाथ सिंह को उनके उपन्यास ‘रेहन पर रग्घू’ के लिए वर्ष 2011 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फिल्म निर्देशक चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने हाल ही में काशीनाथ के उपन्यास ‘काशी का अस्सी’ पर आधारित फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ बनाई है।

देश में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा और संवेदनहीनता के खिलाफ साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटने की शुरुआत नयनतारा सहगल ने की थी। यह सिलसिला जारी है, अब तक लगभग 20 लेखक अपना सम्मान लौटा चुके हैं। केंद्र सरकार के कई मंत्री इन लेखकों द्वारा सम्मान लौटाए जाने की खिल्ली उड़ाकर अपनी संवेदनहीनता का परिचय दे चुके हैं।

AGENCY

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button