खासम-ख़ास

जानें हज क्यों है फ़र्ज़ हर मुसलमान के लिये

हज इस्लाम के पांच फ़र्ज़ों में से एक एक महत्वपूर्ण फ़र्ज़ है। 

एक सच्चे मुसलमान के लिए पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ना, रोज़े रखना, ज़कात (दान) करना, क़ुर्बानी देना और हज करना फ़र्ज़ (ज़रुरी) होता है।

अगर कोई मुसलमान आर्थिक या शारीरिक रुप से लाचार है तो उसके लिए हज ज़रुरी नहीं होता।

वार्षिक हज के मौक़े पर डेढ़ लाख से ज्यादा भारतीय मुसलमानों के साथ ही दुनियाभर से आए करोंड़ों मुसलमान हज करने के लिए मंगलवार को पवित्र शहर मक्का से नज़दीकी शहर मीना रवाना हो गए। 

दुनिया के हर मुसलमान की ख्वाहिश होती है कि वह अपने जीवन काल में एक बार हज ज़रुर करे जो इस्लाम में फ़र्ज़ यानी अनिवार्य भी है क्योंकि ये ही जन्नत जाने के रास्तों में से एक है।

हज के लिए सारी दुनियां से मुसलमान मक्का में एकत्र होते हैं। 

मक्का यानी केंद्र। मक्का शहर दुनिया के मध्य में स्थापित है। यही कारण है कि चारों दिशाओं के मुसलमान हाजिर हूं, ऐ अल्लाह मैं हाजिर हूं, कहते हुए उसके दरबार में पहुंचते हैं।

चालीस दिन के प्रवास में हाजी दस दिन मदीना-मुनव्वरा में गुजारते हैं। मदीना में मुहम्मद रसूल्लाह का रोज़ा मुबारक है। 

मक्का पहुंचकर खाना-ए-काबा की परिक्रमा करते हैं। हज की प्रक्रिया पांच दिन तक चलती है।

SaraJhan News Desk

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