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यू.पी. में भुखमरी से दो भाइयों की मौत, तीसरा गंभीर

बुलन्दशहर के कलैक्ट्रेट में जिला अधिकारी से गुहार लगाती ये महिला नगीना हैं, नगीना का परिवार दिहाड़ी जदूरी करता हैं।

लिहाजा उसके परिजनों ने उसकी शादी भी मजदूरी करने वाले अख्तर से कर दी। अख्तर से नगीना को दो बच्चे हुए और दोनो ही बेटे, मगर अख्तर भी मजदूरी कर अपने बच्चों का पेट ना भर सका। 

पर्याप्त मात्रा में बच्चों को खाना न मिलने से नौ साल पहले एक बेटे की मौत हो गयी और उसका दूसरा बेटा भी चार महीने पहले मौत की नींद सो गया। तंगिया हालत से परेशान अख्तर ने भी नगीना का साथ दस साल पहले छोड़ दिया था। अब परेशान और दाने-दाने को मोहताज नगीना अपने पिता के घर वापस आ गयी हैं, मगर अफसोस नगीना का पिता भी नगीना और उसके बच्चे का पेट भरने में सक्षम नही हैं। 

अब नगीना की गोद में तीसरा और आखिरी बेटा भी भूख का शिकार हुआ हैं, हालत दिन-पे-दिन बद से बदतर होती जा रही हैं, जग मामला मीडिया के संज्ञान में आया तो कुछ सामाजिक लोगों ने थोड़ी मदद भी की।

 मीडिया के बाद ही सही जिलाधिकारी से नगीना के मिलने के बाद अब जिलाधिकारी भी नगीना को शासन से मदद दिलाने की बात कह रही हैं। 

आंकड़े कुछ भी कहें, लेकिन हकीकत यह है कि कुपोषण से जनपद में लोग दम तोड़ रहे हैं। 

पोषण की चपेट में आने से दो भाइयों की मौत हो गई जबकि तीसरा गंभीर है। मगर शायद एक पहल से छः साल के बच्चें की जान बच सके, इस परिवार की मालिया हालत सामने आने के बाद कुपोषण के नाम पर चलायी जा रही हाॅट कुक और उन तमाम योजनाओं पर भी सवाल खड़े होते जा रहे हैं, जो ऐसे परिवारों के लिए बनायी गयी हैं और उन योजनाओं पर करोड़ों रूपयें पानी की तरहा बहाये जा रहे हैं। 

अखिलेश जी ये हाल आपके सूबे में हैं, जहां आज भी भूख से बच्चें मर रहे हैं और उनकी मौत के बाद भी प्रशासन कुम्भकर्णी नींद सोया हैं।

Rohit Sharma

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