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संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में बड़ा योगदान करने वाले देशों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाए: मोदी

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों में बड़ा योगदान करने वाले भारत ने आज कहा कि इस बारे में समस्या यह है कि बड़े पैमाने पर सैनिकों का योगदान करने वाले देश निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं है ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा बुलाई गई शिखर बैठक में संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद में सुधार लाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि एक उच्च स्तरीय स्वतंत्र पैनल ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि जो देश संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में बड़े पैमाने पर अपने सैनिकों के जरिये सहयोग करते हैं, उनमें से अधिकतर इस वैश्विक संगठन की निर्णय लेने वाली प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा की सफलता अंतत: सैनिकों के हथियारों पर निर्भर नहीं करेगी बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नैतिक बल पर निर्भर करेगी।

मोदी ने साथ ही शांति के प्रति भारत के संकल्प को दोहराया और संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा में नये योगदानों की घोषणा भी की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज शांति रक्षक केवल शांति और सुरक्षा के लिए ही नहीं बुलाये जाते बल्कि वे बहुत सी अन्य चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भी बुलाये जाते हैं।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियानों में शहीद होने वाले सैनिकों के लिए एक स्मारक बनाने का भी सुझाव रखा । 

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