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ढे़ढुआ पम्प से किसानों को 39 साल में भी नहीं मिला पानी 

पीरो/अगिआंव: खेतों में पानी के लिये तरस रहे अगिआंव, संदेश और बड़हरा विधानसभा क्षेत्र के किसानों को 39 साल में भी पानी नहीं मिल पाया। पानी के लिये आंदोलन के बाद किसानों को मिला आश्वासन अकारथ चला गया।

सोननदी से पानी निकालकर खेतों तक पहुंचाने के लिये ढ़ेढ़ुआ पम्प नहर परियोजना को अस्तित्व में लाने की कोशिश की गयी थी। 29600 एकड़ खेत की सिंचाई करने के लिये चयनित ढ़ेढुआ पम्प योजना का क्रियान्वयन नहीं होने से किसानों की उम्मीद पर पानी फिर गया हैं।

योजना के क्रियान्वयन को लेकर किसानों ने सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता से लेकर जनप्रतिनिधियों से गुहार लगायी लेकिन इस मामले में बड़हरा, आरा, संदेश और अगिआंव विधानसभा क्षेत्र के माननीय प्रतिनिधियों में कारगर पहल नहीं किया।

उल्लेखनीय है कि आरा से 22 किलोमीटर दक्षिण ढेढ़ुआ गांव के पास सोननदी से 120 क्यूसेक पानी लिफ्ट कर खेतों को पटवन करने की योजना बनी थी और योजना का प्रस्ताव 1976 में सरकार को भेजा गया था।

15 साल बाद 1991 में समग्र योजना के तहत तत्कालीन सिंचाई मंत्री जगदानंद सिंह के निर्देश पर नौ करोड़ सोलह लाख पचास हजार रुपये का प्राक्कलन बनाया।

तत्कालीन वन एवं पर्यायवरण मंत्री सोनाधारी सिंह यादव के कारगर पहल से तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 29 मार्च 1991 को योजना का शिलान्यास कर दिया। शिलान्यास के बाद 2007 – 2008 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने योजना का सर्वेक्षण कराया और प्राक्कलन की राशि एक अरब एकसठ करोड़ दस लाख तीरपन हजार हो गयी।

प्राक्कलन की राशि में लगातार हो रही वृद्धि से आठ साल में योजना का आकार चार अरब से उपर होने की संभावना हैं। ब्रहमपुर निवासी बृजबिहारी राय बताते है कि ढे़ढुआ पम्प योजना का क्रियान्वयन नहीं होने से किसानों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ता हैं।

सितुहारी निवासी किसान सुबोध राय का कहना है कि सोन नहर के विभिन्न चैनल में अंतीम छोर तक पानी नहीं पहुंचने से किसानों को खेतों का पटवन करने में उत्पादन होने वाले धान से अधिक का ईंधन खरीदना पड़ता हैं।

भीमपुरा निवासी भोला शरण सिंह का कहना है किसानों ने सिंचाई के सवाल पर आंदोलन किया लेकिन नीतीश कुमार की सरकार ने ढे़ढुआ पम्प नहर योजना को चालू करने के बजाये किसानों की आवाज को दबा दिया। 

1976 में ढेढ़ुआ पम्प नहर योजना का भेजा गया था प्रस्ताव 

1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था शिलान्यास 

शुरू में नौ करोड़ पचास लाख रुपये का भेजा गया था प्रस्ताव

* 2015 में चार अरब से अधिक का लग सकता है खर्च 

Vijay Kumar

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