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ट्रेन हादसों का सच: मंत्री लुटा तो संसद गूंजी, असाबुल की कौन सुनेगा?

हो सकता है, अब यह भी सुनाई दे ‘भारतीय रेल में आपका स्वागत है। यात्री अपने जान-माल की रक्षा स्वयं करें’। दुर्घटनाओं की तो बात छोड़िए चोर, लुटेरे, उठाईगीर और असामाजिक तत्व कब यात्रियों की अस्मत और जान पर धावा बोल दें, नहीं पता और सुरक्षा महकमा एसी बोगी, पेंट्री कार या स्लीपर में आराम फरमा रहा हो।

ऐसा नहीं होता तो अपनी 10 महीने की बेटी, 25 वर्ष की पत्नी के साथ 32 वर्ष के असाबुल हक को महानंदा एक्सप्रेस से कूचबिहार जाते वक्त अलीपुर द्वार के राजाभातखावा स्टेशन के पास इज्जत बचाने की खातिर चलती ट्रेन से नहीं कूदना पड़ता। यह तो खुदकिस्मती थी कि वनकर्मियों ने तीनों को रेल लाइन पर पड़ा देखा और फौरन अस्पताल पहुंचाया, वरना क्या होता, ईश्वर ही जानता है! 

इस कांड का दुखद पहलू यह भी है कि हासीमारा स्टेशन पर असाबुल ने गार्ड को घंटों से घट रही घटना के बावत सब कुछ बताया, मगर उसने गंभीरता नहीं लिया। साधारण बोगी में 20-25 युवक नशे में धुत छेड़खानी को घंटों अंजाम देते रहे, अफसोस कि सुरक्षाकर्मी सोते रहे। 

सोए भी क्यों न, जब कुछ बिगड़ना ही नहीं है! इसी साल 18-19 मार्च की दरम्यानी रात, ट्रेन में मप्र के वित्त मंत्री सपत्नीक दिल्ली जाते समय मथुरा के पास चाकू-तलवार की नोक पर लूट का शिकार हुए। इसी ट्रेन में जबलपुर हाईकोर्ट के दो वकील भी खंजर की नोक पर लुटे। इसी दिन, इसी इलाके में हैदराबाद जा रही दक्षिण एक्सप्रेस में रात दो बजे एसी कोच में ग्वालियर के विमल से 10 हजार रुपये नकद, मोबाइल अटैची लूटी गई।

फिर इसी दिन 18 मार्च को केरला एक्सप्रेस के भोपाल स्टेशन पहुंचने के थोड़ा पहले, उतरने को गेट के पास खड़ी डॉ. मनीषा श्रीवास्तव की अटैची झपटी गई, किस्मत से हैंडल टूटा और वह ट्रेन के अंदर ही गिरीं। 

इससे पहले, 16-17 मार्च की दरम्यानी रात जबलपुर-इंदौर ओवरनाइट में परिवार संग सफर कर रही 10 साल की स्केटिंग की गोल्ड और सिल्वर मेडल विजेता, राष्ट्रीय खिलाड़ी के साथ शराब पिए तीन सहयात्रियों ने छेड़खानी की। शिकायत रनिंग स्टाफ से बार-बार की गई। कुछ नहीं हुआ तो सह यात्रियों ने इटारसी स्टेशन पर आरोपियों की धुनाई कर, जीआरपी के हवाले किया। 

20 मार्च को मध्य प्रदेश के उमरिया में, विशाखापट्टनम एक्सप्रेस से जोधपुर से रायगढ़ के लिए सफर कर रही सुनीता जैन का पर्स छीनने की कोशिश में उन्हें धक्का देकर बाहर गिरा दिया गया। चेन खींची गई, घायल सुनीता को फिर चढ़ाया गया। 

28 साल की रति त्रिपाठी का वाकया अब भी लोगों के जेहन में ताजा है। रति 18-19 नवंबर 2014 को मालवा एक्सप्रेस के एस-7 कोच की आठ नंबर बर्थ पर यानी दरवाजे के पास यात्रा कर रही थीं। सुबह-सुबह ललितपुर से सवार तीन लुटेरों ने पर्स छीनने की कोशिश की। रति ने विरोध किया, अकेली जान कितना संघर्ष करती, करौंदा और आगासौद के बीच रति चलती ट्रेन से फेंक दी गईं। हो-हल्ला के बाद आरोपी पकड़े गए, जिनमें एक रेलवे का बर्खास्त गैंगमैन तो दूसरा होमगार्ड का बर्खास्त सिपाही निकला।

इस बार का रेल बजट पेश करते हुए रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा था, “रेलवे को 20000 सुझाव मिले। सुरक्षा संबंधी घटना पर 182 नंबर सहित टोल फ्री नंबर 18002330044 चालू हैं।” ये नंबर कितने कारगर होंगे नहीं मालूम, क्योंकि जब गार्ड घटना की जानकारी प्रत्यक्ष दिए जाने पर भी कुछ नहीं करता तब नंबर तो कवरेज, तवज्जो और प्रोसेस का मामला है। 

तकनीक की बात होती है, चलती ट्रेन में वाई-फाई मिलने जा रही है.. सभी सवारी डिब्बों पर मात्र चंद हजार रुपये खर्च कर दोनों दरवाजों के बीच हाई सेंसिटिव नाइट विजन कैमरा लगाकर, गार्ड के डिब्बे में एक सिस्टम बिठाकर, लाइव निगरानी और सीसीटीवी रिकॉर्ड नहीं रख सकते, ताकि जरूरत पड़ने पर, सुरक्षा तंत्र की खामियां, ड्राइवर-गार्ड और रनिंग स्टाफ की ज्यादतियां-कमियां पता लग सके? 

वॉकी-टॉकी से ड्राइवर, गार्ड, सुरक्षाकर्मी, स्टेशन, कंट्रोल रूम आपस में वैसे ही कनेक्ट रहते हैं तो क्या 24-25 डिब्बों को कैमरों की जद में लाकर तात्कालिक और पुख्ता सुरक्षा का माकूल इंतजाम नहीं हो सकता?

मध्य प्रदेश के मंत्री, उनकी पत्नी चलती रेल में तलवार और चाकुओं की धार पर लुटते हैं तो मामला संसद में गूंज उठता है, लेकिन अपनी बीवी की आबरू की खातिर असाबुल चलती ट्रेन से पत्नी, दुधमुंही बच्चे समेत कूद जाता है तब भी उसकी आवाज नक्कारखाने में तूती साबित होती है। 

सवाल फिर वही है प्रभुजी कि ‘भारतीय रेल में आपका स्वागत है’ वाले मधुर स्वर के बीच आम आदमी कितना महफूज है?

ऋतुपर्ण दवे

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